
नादान दोस्त PDFnadan dost pdf

nadan dost path ka audio
ध्वनि प्रस्तुति
nadan dost kahani ke shabdarthनादान दोस्त शब्दार्थ
शब्दार्थ
- कार्निस -दीवार के ऊपर का आगे बढ़ा हुआ भाग
- मालूम- पता
- मजा- आनंद
- सुध -ध्यान, जानकारी
- तरह-तरह के -अनेक प्रकार के
- सवाल -प्रश्न
- जवाब -उत्तर
- फुर्सत- खाली समय
- तसल्ली -सांत्वना
- फुर्र से -शीघ्र से
- गर्व -अभिमान, घमंड
- बगैर -बिना
- बेचारी - असहाय , जिसकी कोई देखभाल करने वाला न हो
- पेंचीदा -मुश्किल
- जिज्ञासा -जानने की इच्छा , उत्सुकता
- अधीर- जिसमें धैर्य न हो ,उतावला
- अनुमान- अंदाजा
- चारा -जानवरों का भोजन
- मुसीबत -विपत्ति
- तकलीफ -कष्ट
- बेचारे -कमजोर, बलहीन
- आखिर- अंत
- फैसला -निर्णय
- प्रस्ताव -सुझाव
- स्वीकृत होना -मंजूर होना
- चाव- शौक
- आँख बचाकर- नजरों से बचकर
- उधेड़बुन -सोच विचार
- आखिरकार- अंत में
- हल करना -सुलझाना
- सूराख -छेद
- हिकमत- उपाय, युक्ति
- चालाक -चतुर, होशियार
- बहलाना -खुश करना
- मौका -अवसर
- इंतजार -प्रतीक्षा
- हिफाजत -रक्षा
- तरफ -ओर
- वक्त- समय
- दबी आवाज से -धीरे से
- वरना -नहीं तो
- चिथड़े - फटे हुए ,पुराने कपड़े
- टहनी- पेड़ की शाखा,
- आहिस्ता से- धीरे-धीरे
- चटनी कर डालना -खूब पीटना
- किवाड़ -दरवाजा
- मोहब्बत -प्यार , प्रेम
- कसूर - दोष, अपराध
- हिस्सेदार -भागीदार ,साथी
- वजह -कारण
- फैसला -निर्णय
- यकायक -एकदम,सहसा , अचानक
- ताकना -देखना
- संयोग से -यकायक ,सहसा ,अचानक से
- उल्टे पांव दौड़ना -देखते ही दौड़ पड़ना
- चीज -वस्तु
- चेहरे का रंग उड़ना- घबरा जाना
- सहमी हुई -घबराई हुई
- उजला -साफ़
- सोटी - डंडा या छड़ी
- तरस -दया
- सजा -दंड
- भीगी बिल्ली बना -डरा हुआ
- थामना- सहारा देना ,पकड़ना
- सूरत -शक्ल
- अफसोस- दुख
- हिफाजत -सुरक्षा
- जोग -प्रयास ,कोशिश, युक्ति
- सत्यानाश - पूर्ण नाश , बहुत हानि
नादान दोस्त पाठ का सार
nadan dost class 6 hindi summary
केशव और उसकी बहन श्यामा अपने घर पर कार्निस के ऊपर पड़े अंडों को बड़े ध्यान से देखा करते थे . उन्हें देखने में उन्हें मजा आता था . अंडों के बारे में उनके दिल में तरह-तरह के सवाल उठते थे . अंडे कितने बड़े होंगे ? किस रंग के होंगे ? घोंसला कैसा होगा? उन्हें इन बातों का जवाब देने वाला कोई नहीं था इसलिए केशव और श्यामा आपस में ही सवाल जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे .
इन अण्डों के बारे में दोनों बच्चों की जिज्ञासा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी . उन्होंने अनुमान लगाया कि अब बच्चे निकल आए होंगे .उन्हें उन बच्चों के लिए चारा(दाना-पानी) जुटाने की चिंता हुई . चिड़िया के बच्चों की भूख मिटाने के लिए उन दोनों ने कार्निस पर थोड़ा सा दाना रखने का फैसला किया. उन्हें धूप से बचाने के लिए घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बनाने और पानी की प्याली तथा थोड़े से चावल रखने का भी उन्होंने फैसला कर लिया . दोनों बच्चों ने अपने इस कार्य को बड़े शौक से करना आरंभ कर दिया . श्यामा मटकी से चावल निकाल लाई और केशव ने पत्थर की प्याली को साफ कर उसमें पानी भार दिया . कूड़ा फेंकने वाली टोकरी के सूराख में थोड़ा सा कागज ठूँसकर उसे एक टहनी से टिका कर घोंसले के लिए छत तैयार कर दी.
गर्मी के दिन थे .बाबूजी दफ्तर गए हुए थे .जैसे ही अम्मा जी अच्छी तरह सो गईं दोनों चुपके से उठे और बहुत धीरे से दरवाजा खोलकर बाहर निकल गए . केशव कमरे से स्टूल लाया . उससे काम न चलने पर वह चौकी उठा लाया और उस पर स्टूल रखकर डरते-डरते स्टूल पर चढ़ गया . ज्यों ही उसने कार्निस पर हाथ रखा, दोनों चिड़िया उड़ गईं .वहाँ तीन अंडे थे. श्यामा ने उन्हें देखना चाहा पर केशव बोला पहले चिथड़े ले आओ उन्हें अंडों के नीचे बिछाता हूँ बेचारे अंडे तिनको पर पड़े हैं . केशव ने कपड़ा लेकर उससे एक गद्दी बनाई और उसने तीनों अण्डों को उस पर रख दिया . उसने टोकरी को एक टहनी से टिका दिया और श्यामा को दाना तथा पानी की प्याली लाने के लिए कहा . श्यामा ने केशव से गिड़गिड़ा कर कहा कि उसे भी ऊपर चढ़ाकर अंडे दिखा दे लेकिन केशव को डर था कि यदि श्यामा गिर गई तो अम्मा खूब पीटेगी इसलिए केशव ने उससे कहा कि तू उन्हें देख कर क्या करेगी? अंडे आराम से हैं.
दोनों चिड़ियाँ बार-बार कार्निस पर आती थीं और बिना बैठे ही उड़ जाती थीं . केशव ने सोचा कि उनके डर से चिड़ियाँ वहाँ नहीं बैठतीं . इस कारण केशव ने स्टूल उठाकर कमरे में रख दिया और चौकी भी वहाँ से ले गया .
इसी बीच माँ की नींद खुल गई .उसने केशव और श्यामा से पूछा कि तुम दोनों बाहर कब निकले? किवाड़ किसने खोला था? दरवाजा केशव ने खोला था पर श्यामा ने माँ को यह नहीं बताया .माँ ने दोनों को डाँट- डपट कर फिर कमरे में बंद कर दिया.
4:00 बजे अचानक श्यामा की नींद खुली . वह दौड़ी हुई कार्निस के पास आई . अचानक से उसकी नजर नीचे गई जहाँ अंडे गिरे पड़े थे . वह बोली - बच्चे उड़ गए हैं ! केशव घबराकर बाहर आया. पानी की प्याली भी एक तरफ टूटी पड़ी थी. यह देख वह घबरा गया उसने श्यामा से कहा कि अंडे फूट गए हैं . अंडों में से उजला-उजला पानी निकल आया है . उसी पानी से दो-चार दिन में बच्चे बन जाते.
माँ ने छड़ी हाथ में लिए हुए कहा - धूप में क्या कर रहे हो ? श्यामा ने कहा - अम्मा जी चिड़िया के अंडे टूटे पड़े हैं . माँ ने गुस्से में कहा कि तुमने उन्हें छुआ होगा .श्यामा ने कहा कि भैया ने उन्हें इस तरह रख दिया कि वे नीचे गिर पड़े. माँ ने केशव से कहा कि छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो जाते हैं . चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती (पालती ) है . केशव बोला - मैंने तो सिर्फ अंडों को कपड़े की गद्दी पर रख दिया था . यह सुन माँ को हँसी आ गई पर केशव को अपनी गलती पर बहुत अफसोस हुआ . उसने अंडों की हिफाजत करते-करते उनका सत्यानाश कर डाला था.
नादान दोस्त कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है
- दोस्त- चिड़िया की मदद, अंडों की सुरक्षा का भाव
- नादान- पर्याप्त जानकारी न होना
अंततः अंडे फूट जाते हैं और दोनों बच्चे दुखी होते हैं.
nadan dost question answer
नादान दोस्त पाठ के प्रश्न उत्तर
- वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।
- माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
- माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
nadan dost bhasha ki baat
- उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम− मैं, मुझे
- मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम − आप
- अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम − उन्होंने, उनकी, उसने
- आलसी आदमी- वह आलसी आदमी काफी परेशान लगता है।
- सुन्दर लड़की- एक सुन्दर लड़की खिड़की पर खड़ी थी।
- छोटा बच्चा -छोटे बच्चे नटखट होते हैं।
- जंगली बिल्ली -जंगली बिल्ली बहुत खतरनाक होती है।
- अंडे बड़े होंगे।
- उनका रंग बताओ।
- अंडो की संख्या बताओ।
- उनका खाना बताओ।
- उनमें से बच्चे निकलेंगे।
- बच्चोंकेपरनिकलेंगे।
- घोंसले के विषय में बताओ।
- झुँझलाकर – मोहन ने गुस्से में खाना झुँझलाकर फेंक दिया।
- बनाकर – राघव ने रीना को मोतियों की माला बनाकर दी।
- घबराकर – सुमन ने माँ से घबराकर झूठ बोल दिया।
- टिकाकर – सुमित ने डंडे को एक दीवार से टिकाकर रख दिया।
- गिड़ागिड़ाकर– कल मंदिर के बाहर एक भिखारी गिड़गिड़ाकर भीख माँग रहा था।
0 Comments